पृष्ठभूमि

भारत में निर्माण क्षेत्र में अभूतपूर्व वृद्धि हो रही है। यह क्षेत्र अकेले भारत की कुल तीस प्रतिशत से अधिक की बिजली खपत कर रहा है। ऐसा अनुमान है कि भारत हर दिन 3,00,000 वर्ग फुट वाणिज्यिक मंजिल की फ्लोर स्‍पेस का निर्माण कर रहा है और अगले दो दशकों में सबसे बड़े वाणिज्यिक और आवासीय भवन निर्माण में तेजी देखने को मिलेगी। भारत एक ऐसे मोड़ पर है जहां अगले बीस वर्षों में मौजूद निर्माण स्टॉक का चालीस प्रतिशत निर्माण होना बाकी है। इससे ऊर्जा की अधिक मांग उत्पन्न होगी और इसलिए आगामी और साथ ही मौजूदा भवन स्टॉक में भवन ऊर्जा की मांग को अनुकूल बनाने की तत्काल आवश्यकता है।

one

2001 में, ईसी अधिनियम को ऊर्जा संरक्षण उपायों (बीईई, 2017) को बढ़ावा देने के लिए एक आवश्यक कानूनी ढांचा प्रदान करने के प्राथमिक उद्देश्य के साथ अधिनियमित किया गया था। अधिनियम के प्रमुख निर्देशों में मानक 4 और उपकरणों के लिए लेबलिंग, नामित उपभोक्ताओं (डीसी) के रूप में अधिसूचित किए जाने वाले ऊर्जा गहन प्रतिष्ठानों की पहचान और उनका निरीक्षण, मान्यता-प्राप्त ऊर्जा लेखा परीक्षकों द्वारा ऊर्जा लेखा-परीक्षा के साथ-साथ भवन क्षेत्र में ऊर्जा दक्षता में सुधार, स्थानीय परिस्थितियों के अनुरूप ऊर्जा संरक्षण भवन संहिताओं में संशोधन शामिल थे।

 

भागीदार:

बीईई ने कई अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों और एजेंसियों के साथ मिलकर काम किया है। उनके अनुभवों और सर्वोत्तम प्रथाओं से सीखकर उन्हें उपयुक्त के रूप में अपनाया गया है। भारत-अमेरिकी पेस-डी कार्यक्रम, इंडो-स्विस बीईईपी परियोजना, जीआईजेड, यूएनडीपी और इंडो-ईयू कार्यक्रम कुछ उल्लेखनीय कार्यक्रम हैं।

उपभोक्ताओं/ हितधारकों के लिए महत्वपूर्ण सूचना और उपयोगी लिंक (भवनों में ऊर्जा दक्षता)

लक्षित लाभार्थी:

सीपीडब्ल्यूडी, टाउन एंड कंट्री प्लानिंग, राज्य पीडब्ल्यूडी, राज्य नामित एजेंसियां, यूडीडी, नगर निगम/ यूएलबी, डिस्कॉम, इलेक्ट्रिकल निरीक्षणालय, वास्‍तुविद्, इंजीनियर, संस्थान/संगठन, भवन निर्माता, विकासकर्ता, मकान मालिक आदि।

बीईई के संबंधित अधिकारियों के संपर्क विवरण: 

क्र.सं.

कार्यक्रम अधिकारी

संबंधित क्षेत्र

सम्पर्क विवरण

ईमेल

1

श्री सौरभ डिड्डी, निदेशक

भवन

011-26766730

sdiddi[at]beeindia[dot]gov[dot]in